मुंबई में पिछले 20 सालों से चल रहे सबसे बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा हुआ है। ये सेक्स रैकेट मुंबई के पॉश इलाके लोखंडवाला के पास में चल रहा था, जिसमें देशभर की करीब 500 लड़कियां शामिल थीं। इन पीड़ित लड़कियों को बेहतर भविष्य और शिक्षा का वादा देकर इस कारोबार में धकेला गया था। इस रैकेट का खुलासा तब हुआ जब 14 सालों की प्रताड़ना से तंग आकर एक युवती वहां से भाग निकली।
24 वर्षीय पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसे 2002 में मुंबई लाया गया था तब वह बस 10 साल की थी। उसने बताया कि वह छह महीने पहले भागने में कामयाब रही थी और उसके बाद वह अपने घर आगरा गई थी। उसने बताया कि डर के चलते उसने अपने परिवार को अपने अतीत के बारे में नहीं बताया लेकिन कुछ महीनों पहले उसने अपने परिवार को सच बताया। इसके बाद उन्होंने आगरा पुलिस को इसकी सूचना दी और उन्होंने इस रैकेट के बारे में मुंबई पुलिस को बताया।
पुलिस ने ऐसे पकड़ा
ये सूचना मिलने के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने बुधवार को छापेमारी की कार्रवाई की। इस छापेमारी के दौरान पुलिस टीम पीड़ित लड़की के संपर्क में थी। उसके निर्देश के अनुसार, पुलिस ने मकान में छापा मारा और चार लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने छामेमारी में भाई जितेंद्र सिंह और विमल ठाकुर को गिरफ्तार किया। पुलिस ने सेक्स रैकेट चलाने वाले दो महिलाओं अंजू ठाकुर और पूनम ठाकुर को भी गिरफ्तार किया।
कैसे करते थे काम
ये गैंग अपने एजेंट के जरिए गांव और शहरों में रहते हैं जैसे आगरा, कोलकता और दिल्ली। ये एजेंट आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर नजर रखते है, जिनके घर में 10 साल तक की लड़की हो। इसके बाद ये एजेंट एनजीओ के कार्यकर्ता बनकर उस घर में जाते हैं और उस परिवार को आश्वासन देते हैँ कि उनकी बेटी को मुंबई में अच्छी शिक्षा और जिंदगी देंगे। जब एक बार लड़की मुंबई आ जाती है तो उससे जबरन घरेलू कामवाली का काम करवाया जाता है। जब लड़की जवान हो जाती है तो उसकी बोली लगाई जाती है और इसके बाद वो लड़की सेक्स रैकेट के कारोबार में फंस जाती है। उसे पूरे शहर के डांस बार में भेजा जाता है। इतना ही नहीं उसे भारत या फिर किसी अन्य देश में बेच दिया जाता है।
लड़कियों को बताते थे अपनी बेटियां
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, क्राइम ब्रांच के सूत्रों ने बताया है कि गिरफ्तार आरोपी जितेंद्र और विमल गांव और शहर में जाकर लड़कियों के मां-बाप से मिलकर उन्हें मुंबई जाने के लिए मनाते थे। एक बार लड़की मुंबई आ जाती थी तो उन्हें अंजू और पूनम के हवाले कर दिया जाता था। ये दोनों महिलाएं लड़कियों को अपनी बेटी बताती थी और दलाल उन लड़कियों को लेकर जाया करते थे। पुलिस ने बताया है कि आरोपियों ने रैकेट चलाने के आरोपों को स्वीकार किया है।
पीड़िता हैं डरी हुई
क्राइम ब्रांच ने एक घर में छापेमारी की तो वहां 10 लड़कियां मिलीं, पर किसी को छुडाया नहीं गया। ये सभी लड़कियां डरी हुई हैं और सभी का दावा किया कि वह पीड़ित लड़कियां नहीं है बल्कि आरोपियों की रिश्तेदार है। सूत्रों का कहना है कि सभी लड़कियों ने अपना सरनाम ठाकुर बताया है और सभी अपने को आरोपियों को रिश्तेदार बता रही हैं। ये सभी लड़कियां 18 साल या उससे अधिक उम्र की है इसलिए उन्हें वहां से बिना उनकी मंजूरी के नहीं हटाया जा सकता। अब पुलिस उनके दावों की जांच कर रही है और किसी भी पीड़ित की पहचान होती है तो उसको बचाया जाएगा।
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