ब्राजील की कंपनी एंबरियर के साथ हुए विमान सौदे में कथित घूस लेने के आरोपों की प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जांच करेगी। रक्षा मंत्रालय सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। बता दें कि यूपीए शासन के दौरान 2008 में डीआरडीओ और एंबरियर के बीच 20.8 करोड़ डॉलर में तीन विमानों के लिए यह करार हुआ था।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। इसलिए सीबीआई के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी जांच करने को कहा गया है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था, अगर इसमें कोई आपराधिक पहलू है तो उसकी जांच सीबीआई करेगी। मंत्रालय तो इस तरह की जांच नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा था, अगर यह मसला केवल प्रक्रिया से जुड़ा है तो रक्षा मंत्रालय आतंरिक जांच कर सकता है।
यूपीए सरकार के कार्यकाल में एंबरियर के तीन विमानों के लिए हुआ समझौता अमेरिकी अधिकारियों की जांच के घेरे में है। अधिकारियों को संदेह है कि अनुबंध हासिल करने के कंपनी ने घूस दी है। यही वजह है कि अमेरिकी न्याय विभाग वर्ष 2010 से ही कंपनी के सौदों की जांच कर रहा है।
डीआरडीओ ने ब्राजील की कंपनी से रिपोर्ट मांगी है। कंपनी का कहना है कि वह बीते पांच साल के रिश्वत के गंभीर आरोपों को देख रही है। यह समझौता साल 2008 में एईडब्ल्यू एंड सी (विमानों के लिए आरंभिक चेतावनी तथा नियंत्रण प्रणाली) के लिए स्वेदशी रडार से लैस तीन विमानों के लिए ब्राजील के विमान निर्माता एंबिरियर और डीआरडीओ के बीच हुआ था।
करार पर पहले भी सवाल
एंबरियर ने करार के तहत पहला विमान 2011 में डीआरडीओ को सौंपा। हालांकि, शेष दो विमानों को कई नीयत तारीखों के बावजूद एंबरियर भारत को सौंप नहीं सका और अब इसके इस साल दिसंबर में आपूर्ति होने की संभावना है।
यूपीए के अन्य विवादित रक्षा सौदे
- 12 वीवीआईपी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद में इटली कंपनी फिनमेकेनिका की ओर से घूस देने का आरोप
- 100 लड़ाकू विमान के लिए 10 हजार करोड़ रुपये में खरीदे जाने वाले रोल्स रॉयस इंजन खरीद में घूस देने के आरोप
- 2009 में नौसेना के आईएनएस दीपक और आईएनएस शक्ति को बनाने में घटिया स्टील का इस्तेमाल
सरकारी सूत्रों के मुताबिक आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। इसलिए सीबीआई के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी जांच करने को कहा गया है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था, अगर इसमें कोई आपराधिक पहलू है तो उसकी जांच सीबीआई करेगी। मंत्रालय तो इस तरह की जांच नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा था, अगर यह मसला केवल प्रक्रिया से जुड़ा है तो रक्षा मंत्रालय आतंरिक जांच कर सकता है।
यूपीए सरकार के कार्यकाल में एंबरियर के तीन विमानों के लिए हुआ समझौता अमेरिकी अधिकारियों की जांच के घेरे में है। अधिकारियों को संदेह है कि अनुबंध हासिल करने के कंपनी ने घूस दी है। यही वजह है कि अमेरिकी न्याय विभाग वर्ष 2010 से ही कंपनी के सौदों की जांच कर रहा है।
डीआरडीओ ने ब्राजील की कंपनी से रिपोर्ट मांगी है। कंपनी का कहना है कि वह बीते पांच साल के रिश्वत के गंभीर आरोपों को देख रही है। यह समझौता साल 2008 में एईडब्ल्यू एंड सी (विमानों के लिए आरंभिक चेतावनी तथा नियंत्रण प्रणाली) के लिए स्वेदशी रडार से लैस तीन विमानों के लिए ब्राजील के विमान निर्माता एंबिरियर और डीआरडीओ के बीच हुआ था।
करार पर पहले भी सवाल
एंबरियर ने करार के तहत पहला विमान 2011 में डीआरडीओ को सौंपा। हालांकि, शेष दो विमानों को कई नीयत तारीखों के बावजूद एंबरियर भारत को सौंप नहीं सका और अब इसके इस साल दिसंबर में आपूर्ति होने की संभावना है।
यूपीए के अन्य विवादित रक्षा सौदे
- 12 वीवीआईपी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद में इटली कंपनी फिनमेकेनिका की ओर से घूस देने का आरोप
- 100 लड़ाकू विमान के लिए 10 हजार करोड़ रुपये में खरीदे जाने वाले रोल्स रॉयस इंजन खरीद में घूस देने के आरोप
- 2009 में नौसेना के आईएनएस दीपक और आईएनएस शक्ति को बनाने में घटिया स्टील का इस्तेमाल
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