दिल्ली क्यों हो रही है बेदर्द? ये तीन घटनाएं बताती है कड़वा सच

दिल्ली में यूं तो कई ऐसी घटनाएं होती रही हैं जो शहर की बुरी तस्वीर पेश करती है. लेकिन कुछ मामले ऐसे भी हुए हैं जब एक समाज के तौर पर दिल्ली पर बड़े सवाल उठे हैं. आज हम कुछ ऐसी ही घटनाओं के बारे में बता रहे हैं जिन्हें पढ़ने के बाद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या दिल्ली वाकई दिल वालों की है?
पहला मामला- महिला ने सड़क पर दिया बच्ची को जन्म, 2 घंटे बाद बेटी की मौत
मंगलवार को एक महिला ने NH-24 के निजामुद्दीन ब्रिज पर ही अपनी बच्ची को जन्म दे दिया. लेकिन इससे पहले वह वहां से गुजरने वाले लोगों से मदद की गुजारिश करती रही, लेकिन वहां से गुजर रहे दर्जनों लोगों में से कोई भी उनके पास नहीं आया.
ब्रिज पर जन्म होने के कुछ ही देर बाद बच्ची की मौत हो गई.
सराय काले खां के पास गैसपुर कॉलोनी के स्लम में रहने वाली रेशमा को उसके मजदूर पति रवि रिक्शा से हॉस्पिटल ले जा रहे थे. उनके पास गाड़ी करने को पैसे नहीं थे. इस दौरान उन्होंने ऑटो और सड़क से गुजर रही अन्य गाड़ियों को रोकने की कोशिश भी की, लेकिन कोई भी उनके पास नहीं आया. हालांकि, किसी राहगीर की सूचना पर पुलिस बाद में पहुंची, एंबुलेंस भी आई, लेकिन तब तक महिला बच्ची को जन्म दे चुकी थी. पुलिस का कहना है कि उसने महिला को हॉस्पिटल चलने को कहा, लेकिन उसने इनकार कर दिया.
दूसरा मामला- पत्नी के शव को मकान मालिक ने नहीं रखने दिया घर में, भटकता रहा
छोटेलाल नाम के शख्स की पत्नी की मौत चिकनगुनिया से हो गई. वह उसके शव को एंबुलेंस में लेकर कड़कड़डूमा के उस घर में गया, जहां वह किराए पर रहता था. लेकिन मकान मालिक ने उसे वहां शव नहीं रखने दिया. इसके बाद वह कई घंटे तक एंबुलेंस और शव के साथ भटकता रहा. बाद में पुलिस की मदद से उसकी पत्नी के शव किसी घर में रखवाया गया.
बाद में मकान मालिक ने कहा कि उसने शव को मोर्चरी में रखवाने के लिए 2000 रुपए दिए थे और साथ में संस्कार करने की जिम्मेदारी भी ली थी. लेकिन कड़कड़डूमा गांव के प्रधान का कहना है कि इस इलाके में पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब किरायेदारों की बॉडी मकान मालिकों ने घर में रखने से मना किया है.
तीसरा मामला- प्रेग्नेंट महिला को जब मेट्रो में नहीं दी सीट
पिछले साल आकांक्षा नाम की लड़की ने ब्लॉग लिखा था. उसने अपने ब्लॉग में जिस घटना का जिक्र किया था वह भी हमें सोचने पर मजबूर करता है. हुआ यूं कि राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर एक महिला ट्रेन में चढ़ी. वह प्रेग्नेंट थी और उसने सीट पर बैठी एक लड़की से अपने लिए जगह मांगी. लेकिन लड़की ने साफ मना कर दिया. इसके बाद प्रेग्नेंट महिला ने उससे फिर रिक्वेस्ट की, लेकिन उसने सीट नहीं दी. हालांकि, बाद में आंकाक्षा ने खुद ही अपनी सीट महिला को दे दी. यह घटना सोशल साइट पर काफी शेयर की गई थी.

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