PAK से विसर्जन के लिए अस्थियां लाया दल
कराची के प्रसिद्ध पंचमुखी हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी रामनाथ मिश्र महराज के नेतृत्व में मंगलवार को एक दल अस्थियां लेकर कराची से दिल्ली के लिए रवाना हुआ. बुधवार दोपहर ट्रेन से वे लाहौर पहुंचेगे और वहां से शाम ही वाघा बॉर्डर के द्वारा दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे.
पंचमुखी हनुमान मंदिर के पुजारी ने कराची से चलते वक्त 'आज तक' को बताया कि ये बहुत पुण्य का काम हो रहा है. दोनों देशों के मित्रवत प्रयास से ही ये संभव हो पाया है, अंतत: कई सालों बाद आत्माओं को मुक्ति मिल जाएगी.
24 को गंगा में विसर्जित करेंगे अस्थियां
लगभग 8 दिनों तक दिल्ली में रहकर पूजा अर्चना करने के बाद वे 23 तारीख को दिल्ली से हरिद्वार के लिए रवाना होना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि हम लोगों को हरिद्वार और कोलकाता का वीसा तो मिला है, लेकिन अब तक दिल्ली का वीजा नहीं मिल पाया है. संभवतः वाघा पहुंचते-पहुंचते मिल जाएगा और फिर हम लोग दिल्ली पहुंच पाएं. फिर वहां से हम लोग 24 तारीख को हरिद्वार में अस्थियों को गंगा में विसर्जित करेंगे.
बाघा बॉर्डर जाएगा देवोत्थान का दल
आपको बता दें कि देश-विदेश के श्मशान घाटों पर लावारिस रखी हुईं अस्थियों को एकत्र कर हरिद्वार में विसर्जित करने के शुभ कार्य में लगी दिल्ली की गैर सरकारी संगठन श्री देवोत्थान सेवा समिति का एक दल पाकिस्तान से आ रहे 160 अस्थि कलशों को लेने बाघा बार्डर जाएगा. श्री देवोत्थान सेवा समिति के सदस्य विजय शर्मा ने 'आज तक' को बताया की हम लोग अस्थियां लाने वाघा जा रहे है. दिल्ली के वीजा में थोड़ी दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन उम्मीद करते है कि वह सॉल्व हो जाएगा.
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू आमतौर पर अपनी आस्था के अनुसार सिंधु नदी में अस्थि विसर्जन कर देते हैं. लेकिन ये अस्थियां ऐसे लोगों की हैं, जिनके परिजन हरिद्वार में ही उनका अस्थि विसर्जन संस्कार करना चाहते थे और अब तक ये अस्थियां कराची के श्मशान घाट में सुरक्षित रखी हुई थीं.
गृह मंत्री से भी की मुलाकात
पाकिस्तान से आए दल और देवोत्थान समिति के लोग 16 से 23 सितंबर पितृपक्ष के दौरान अस्थियों को विधिवत रूप से पूजा अर्चना के बाद हरिद्वार में विसर्जित करना चाहते है, लेकिन उन्हें हरिद्वार का वीजा तो मिला पर दिल्ली का नहीं. इस सिलसिले में मंगलवार को देवोत्थान समिति के सदस्यों ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और वह लोग उम्मीद कर रहे है कि उन्हें दिल्ली का भी वीजा मिल जाएगा.
कराची के प्रसिद्ध पंचमुखी हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी रामनाथ मिश्र महराज के नेतृत्व में मंगलवार को एक दल अस्थियां लेकर कराची से दिल्ली के लिए रवाना हुआ. बुधवार दोपहर ट्रेन से वे लाहौर पहुंचेगे और वहां से शाम ही वाघा बॉर्डर के द्वारा दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे.
पंचमुखी हनुमान मंदिर के पुजारी ने कराची से चलते वक्त 'आज तक' को बताया कि ये बहुत पुण्य का काम हो रहा है. दोनों देशों के मित्रवत प्रयास से ही ये संभव हो पाया है, अंतत: कई सालों बाद आत्माओं को मुक्ति मिल जाएगी.
24 को गंगा में विसर्जित करेंगे अस्थियां
लगभग 8 दिनों तक दिल्ली में रहकर पूजा अर्चना करने के बाद वे 23 तारीख को दिल्ली से हरिद्वार के लिए रवाना होना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि हम लोगों को हरिद्वार और कोलकाता का वीसा तो मिला है, लेकिन अब तक दिल्ली का वीजा नहीं मिल पाया है. संभवतः वाघा पहुंचते-पहुंचते मिल जाएगा और फिर हम लोग दिल्ली पहुंच पाएं. फिर वहां से हम लोग 24 तारीख को हरिद्वार में अस्थियों को गंगा में विसर्जित करेंगे.
बाघा बॉर्डर जाएगा देवोत्थान का दल
आपको बता दें कि देश-विदेश के श्मशान घाटों पर लावारिस रखी हुईं अस्थियों को एकत्र कर हरिद्वार में विसर्जित करने के शुभ कार्य में लगी दिल्ली की गैर सरकारी संगठन श्री देवोत्थान सेवा समिति का एक दल पाकिस्तान से आ रहे 160 अस्थि कलशों को लेने बाघा बार्डर जाएगा. श्री देवोत्थान सेवा समिति के सदस्य विजय शर्मा ने 'आज तक' को बताया की हम लोग अस्थियां लाने वाघा जा रहे है. दिल्ली के वीजा में थोड़ी दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन उम्मीद करते है कि वह सॉल्व हो जाएगा.
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू आमतौर पर अपनी आस्था के अनुसार सिंधु नदी में अस्थि विसर्जन कर देते हैं. लेकिन ये अस्थियां ऐसे लोगों की हैं, जिनके परिजन हरिद्वार में ही उनका अस्थि विसर्जन संस्कार करना चाहते थे और अब तक ये अस्थियां कराची के श्मशान घाट में सुरक्षित रखी हुई थीं.
गृह मंत्री से भी की मुलाकात
पाकिस्तान से आए दल और देवोत्थान समिति के लोग 16 से 23 सितंबर पितृपक्ष के दौरान अस्थियों को विधिवत रूप से पूजा अर्चना के बाद हरिद्वार में विसर्जित करना चाहते है, लेकिन उन्हें हरिद्वार का वीजा तो मिला पर दिल्ली का नहीं. इस सिलसिले में मंगलवार को देवोत्थान समिति के सदस्यों ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और वह लोग उम्मीद कर रहे है कि उन्हें दिल्ली का भी वीजा मिल जाएगा.
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