रियो पैरालंपिक खेलों में मेडल लाने वाले भारतीय खिलाड़ियों को प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड देने की मांग उठ रही है। गुरुवार को महान एथलीट मिल्खा सिंह ने कहा कि पैरालंपिक एथलीट भी देश के सर्वोच्च सम्मान और पुरस्कार पाने के हकदार हैं।
एक दिन पहले केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने पैरालंपिक खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार देने के सवाल पर कहा था, "हमारे पैरालंपियन ने रियो पैरालंपिक में अब तक चार पदक जीतकर भारत को गौरवांवित किया है। लेकिन जहां तक पुरस्कार का सवाल है तो अब तक पैरालंपियन के लिए ऐसी किसी नीति पर कोई फैसला नहीं किया गया है।"
अब भारतीय सरकार की एजेंसी प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) और युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की साइट पर राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की योग्यता को लेकर अलग-अलग मापदंड दिख रहे हैं।
3 फरवरी, 2014 को पीआईबी की एक नोट के अनुसार खेल रत्न के लिए ओलंपिक मेडल विजेताओं जिसमें समर, विंटर और पैरालंपिक तीनों खेल शामिल हैं उन्हें 90 फीसदी वेटेज दिया जाएगा।
वहीं युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की वेबसाइट पर 23 फरवरी, 2015 पर जारी संशोधित खेल रत्न नीति के तहत कहा गया है कि ओलंपिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड दिया जाएगा।
खेल मंत्रालय की वेबसाइट पर यह साफ नहीं है कि ओलंपिक खिलाड़ियों में पैरालंपिक खिलाड़ी शामिल हैं या नहीं। भारतीय खिलाड़ियों ने अब तक पैरालंपिक खेलों के इतिहास में चार गोल्ड सहित 12 मेडल जीते हैं। मेडल जीतने वाले किसी खिलाड़ी को आजतक खेल का सर्वोच्च सम्मान नहीं मिला है।
समर ओलंपिक विजेताओं को मिला सम्मान
सामान्य ओलंपिक खेल जिसे समर ओलंपिक कहा जाता है उसमें जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार मिलता है। 1992 में राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड देने की शुरुआत हुई थी। इसके बाद हुए हर ओलंपिक में मेडल लाने वाले खिलाड़ियों में खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। लिएंडर पेस, कर्णम मल्लेश्वरी, अभिनव बिंद्रा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, एमसी मैरीकॉम, सुशील कुमार, विजेंद्र कुमार, साइना नेहवाल, विजय कुमार, योगेश्वर दत्त, पीवी सिंधू और साक्षी मलिक पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों शामिल हैं। हालांकि मल्लेश्वरी, ब्रिंदा और नेहवाल को ओलंपिक मेडल लाने से पहले ही देश के सर्वोच्च सम्मान दिया जा चुका था।
दो बार गोल्ड जीतने वाले को भी नहीं दिया पुरस्कार
रियो ओलंपिक में अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले देवेंद्र झाझरिया ओलंपिक खेलों (समर, विंटर और पैरालंपिक) में दो गोल्ड लाने वाले एक मात्र भारतीय खिलाड़ी है। जैवलिन थ्रोअर झाझरिया ने पहली बार 2004 में एथेंस ओलंपिक में गोल्ड जीता। उन्हें उस साल अर्जुन अवॉर्ड मिला। दिलचस्प बात है कि निशानेबाजी में उसी साल सिल्वर मेडल लाने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ खेल रत्न पुरस्कार दिया गया। एथेंस में इन दोनों के अलावा पॉवरलिफ्टिंग (पैरालंपिक) में राजेंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता और उन्हें दो साल बाद अर्जुन अवॉर्ड दिया गया।
लंदन पैरालंपिक खेलों में सिल्वर मेडल जीतने वाले और भारत के लिए इकलौता पदक लाने वाले गिरिशा नागराजगौड़ा को भी दो साल बाद अर्जुन अवॉर्ड दिया गया। जबकि समर ओलंपिक विजेताओं को उसी साल खेल रत्न पुरस्कार दिया गया।
सरकार भूल गई पेटकर को
जर्मनी ओलंपिक (1972) में मुरलीकांत पेटकर ने भारत को ना सिर्फ पैरालंपिक ओलंपिक खेलों में पहला गोल्ड दिया बल्कि वह ओलंपिक खेलों (समर, विंटर और पैरालंपिक) गोल्ड लाने वाले पहले भारतीय बने। वो भी वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ। उनके मन में अब भी एक टीस बाकी है। उन्होंने पिछले महीने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, "भारत सरकार ने कभी भी मुझे राजीव गांधी खेल पुरस्कार, अर्जुन अवार्ड या पद्मश्री के लायक नहीं समझा."
रियो पैरालंपिक खेलों में भारत को 4 पदक
मरियप्पन थांगवेलु ने रियो पैरालंपिक खेलों में पुरूषों की टी42 उंची कूद स्पर्धा में गोल्ड, वरूण भाटी ने इसी स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 45 साल की दीपा मलिक ने महिलाओं की एफ53 गोलाफेंक स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता। भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझरिया ने पुरूष एफ46 भाला फेंक स्पर्धा में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।
एक दिन पहले केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने पैरालंपिक खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार देने के सवाल पर कहा था, "हमारे पैरालंपियन ने रियो पैरालंपिक में अब तक चार पदक जीतकर भारत को गौरवांवित किया है। लेकिन जहां तक पुरस्कार का सवाल है तो अब तक पैरालंपियन के लिए ऐसी किसी नीति पर कोई फैसला नहीं किया गया है।"
अब भारतीय सरकार की एजेंसी प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) और युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की साइट पर राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की योग्यता को लेकर अलग-अलग मापदंड दिख रहे हैं।
3 फरवरी, 2014 को पीआईबी की एक नोट के अनुसार खेल रत्न के लिए ओलंपिक मेडल विजेताओं जिसमें समर, विंटर और पैरालंपिक तीनों खेल शामिल हैं उन्हें 90 फीसदी वेटेज दिया जाएगा।
वहीं युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की वेबसाइट पर 23 फरवरी, 2015 पर जारी संशोधित खेल रत्न नीति के तहत कहा गया है कि ओलंपिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड दिया जाएगा।
खेल मंत्रालय की वेबसाइट पर यह साफ नहीं है कि ओलंपिक खिलाड़ियों में पैरालंपिक खिलाड़ी शामिल हैं या नहीं। भारतीय खिलाड़ियों ने अब तक पैरालंपिक खेलों के इतिहास में चार गोल्ड सहित 12 मेडल जीते हैं। मेडल जीतने वाले किसी खिलाड़ी को आजतक खेल का सर्वोच्च सम्मान नहीं मिला है।
समर ओलंपिक विजेताओं को मिला सम्मान
सामान्य ओलंपिक खेल जिसे समर ओलंपिक कहा जाता है उसमें जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार मिलता है। 1992 में राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड देने की शुरुआत हुई थी। इसके बाद हुए हर ओलंपिक में मेडल लाने वाले खिलाड़ियों में खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। लिएंडर पेस, कर्णम मल्लेश्वरी, अभिनव बिंद्रा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, एमसी मैरीकॉम, सुशील कुमार, विजेंद्र कुमार, साइना नेहवाल, विजय कुमार, योगेश्वर दत्त, पीवी सिंधू और साक्षी मलिक पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों शामिल हैं। हालांकि मल्लेश्वरी, ब्रिंदा और नेहवाल को ओलंपिक मेडल लाने से पहले ही देश के सर्वोच्च सम्मान दिया जा चुका था।
दो बार गोल्ड जीतने वाले को भी नहीं दिया पुरस्कार
रियो ओलंपिक में अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले देवेंद्र झाझरिया ओलंपिक खेलों (समर, विंटर और पैरालंपिक) में दो गोल्ड लाने वाले एक मात्र भारतीय खिलाड़ी है। जैवलिन थ्रोअर झाझरिया ने पहली बार 2004 में एथेंस ओलंपिक में गोल्ड जीता। उन्हें उस साल अर्जुन अवॉर्ड मिला। दिलचस्प बात है कि निशानेबाजी में उसी साल सिल्वर मेडल लाने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ खेल रत्न पुरस्कार दिया गया। एथेंस में इन दोनों के अलावा पॉवरलिफ्टिंग (पैरालंपिक) में राजेंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता और उन्हें दो साल बाद अर्जुन अवॉर्ड दिया गया।
लंदन पैरालंपिक खेलों में सिल्वर मेडल जीतने वाले और भारत के लिए इकलौता पदक लाने वाले गिरिशा नागराजगौड़ा को भी दो साल बाद अर्जुन अवॉर्ड दिया गया। जबकि समर ओलंपिक विजेताओं को उसी साल खेल रत्न पुरस्कार दिया गया।
सरकार भूल गई पेटकर को
जर्मनी ओलंपिक (1972) में मुरलीकांत पेटकर ने भारत को ना सिर्फ पैरालंपिक ओलंपिक खेलों में पहला गोल्ड दिया बल्कि वह ओलंपिक खेलों (समर, विंटर और पैरालंपिक) गोल्ड लाने वाले पहले भारतीय बने। वो भी वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ। उनके मन में अब भी एक टीस बाकी है। उन्होंने पिछले महीने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, "भारत सरकार ने कभी भी मुझे राजीव गांधी खेल पुरस्कार, अर्जुन अवार्ड या पद्मश्री के लायक नहीं समझा."
रियो पैरालंपिक खेलों में भारत को 4 पदक
मरियप्पन थांगवेलु ने रियो पैरालंपिक खेलों में पुरूषों की टी42 उंची कूद स्पर्धा में गोल्ड, वरूण भाटी ने इसी स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 45 साल की दीपा मलिक ने महिलाओं की एफ53 गोलाफेंक स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता। भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझरिया ने पुरूष एफ46 भाला फेंक स्पर्धा में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।
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