दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन
दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया से मरने वालों की तादाद 30 हो गई है. इनमें 12 चिकनगुनिया की चपेट में आकर मरे हैं. राजधानी और आसपास के अस्पतालों में इन बीमारियों के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है. हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन दावा कर रहे हैं कि चिकनगुनिया से किसी मरीज की मौत नहीं होती है. मंत्री जी का यह बयान पहली बार उस समय आया जब वो गोवा में अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार के बाद दिल्ली वापस लौटे. उस वक्त चिकनगुनिया से मरने वालों की तादाद महज 4 ही थी.
मंत्री ने कहा कि चिकनगुनिया से पूरी दुनिया में एक भी मौत नहीं हुई है.
बायोलॉजी में ऐसा संभव नहीं है. अगर ऐसा है तो अस्पताल मेडिकली साबित करें. जैन के मुताबिक जिनके मौत की वजह चिकनगुनिया बताई गयी, तो उस शख्स को कोई और बीमारी भी साथ में रही होगी.
केंद्रीय मंत्री नड्डा ने भी किया ऐसा ही दावा
इसके तीन दिन बाद एक बार फिर से उन्होंने दावा किया कि चिकनगुनिया से किसी की मौत नहीं होती है. उन्होंने अपने इस दावे के पक्ष में गूगल सर्च का हवाला दिया. जैन ने कहा, चिकनगुनिया से कोई मौत नहीं होती. ये मेरी राय नहीं है, बल्कि गूगल पर भी इस बाबत जानकारी मौजूद है.' ऐसा ही दावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने भी किया है. लेकिन सरकार में बड़े पदों पर बैठे इन महानुभावों के दावे की पड़ताल की गई तो पता चला कि चिकनगुनिया से मौत होती है और इसके सबूत भी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के आंकड़ें इस बात की गवाही दे रहे हैं कि चिकनगुनिया से दुनिया के तमाम देशों में मौतें हुई हैं.
1. WHO के मुताबिक हिंद महासागर में बसे रियूनियन आईलैंड में 2005-2006 के दौरान चिकनगुनिया के करीब 2.6 लाख मामले सामने आए थे और 254 लोगों की मौत हो गई थी.
2. अप्रैल 2015 तक कैरीबियाई, लैटिन अमेरिका और यूएस में चिकनगुनिया के 13.79 लाख मामले सामने आए हैं और इस बीमारी से 191 जानें गई हैं.
3. WHO इस बात की पुष्ट‍ि करता है कि इस बीमारी की चपेट में आने वाले अधिकतर लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं जबकि कुछ को आंख, न्यूरोलॉजी और हार्ट से जुड़ी दिक्कतें होती हैं.
4. चिकनगुनिया पर WHO की फैक्ट शीट के मुताबिक इस बीमारी के गंभीर परिणाम नहीं होते लेकिन इससे बुजुर्ग लोगों की मौत हो सकती है.
5. भारत में चिकनगुनिया का भयंकर प्रकोप साल 2006 में सामने आया था. उस वक्त इस बीमारी के 13.9 लाख मामले सामने आए थे लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी की वजह से एक भी मौत नहीं हुई.